Not known Facts About hindi kahani
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हिन्दी कहानी
में मार्क्सवादी यशपाल हिन्दी कहानी के क्षेत्र में उतरे। इन्होंने सामाजिक जीवन
समस्याओं की ओर अधिक गया। परिवार एवं समाज में नारी-पुरूषों के सम्बन्धों तथा उनसे
गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनन्द की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री
यात्रा में साठ के बाद की कहानी में अनके आन्दोलन चलाये गए, जिनमें ‘सामन्तर कहानी', 'सचेतन कहानी', ‘अकहानी आदि
इनकी कहानियों में मध्यमवर्गीय समाज के व्यक्तियों का विश्लेषण मिलता है। इनकी
साथ-साथ प्रगतिवादी कहानियाँ लिखी, इनकी कहानियों में कहीं-कहीं उन्मुक्त प्रेम की छटा भी
कहानी में नये प्रकार के बिम्ब विधान, नयी भाषा शैली, नये उपमान और नये मुहावरे आदि में विशेषता परिलक्षित होती
पश्चात् भारतीय जन जीवन में अनेक परिवर्तन आये जिसका यथार्थ प्रतिबिम्ब 'नई कहानी' में देखने को
तथा भाषा-शैली जैसे तत्व इनकी कहानियों में प्रमुखता से उभरे हैं. ये जब कभी
ताई, ‘रक्षावधन', 'माता का हृदय' कृतज्ञता आदि
कुछ साहित्यधर्मी हिन्दी कहानी का उद्भव स्रोत्र गुणाढ्य की वृहद कथा, कथा सरित सागर, पंचतंत्र कथाएँ, हिंतोपदेश जातक
युग की आरम्भिक कहानियाँ प्रायः आदर्श-वादी होती थी जिनमें भावुकता के साथ किसी
मुंशी प्रेमचन्द को रखकर हम तीन चरणों में बाँटते हैं -
किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे